Kasoor

Prateek Kuhad

हाँ मैं गुमसुम हूँ इन राहों की तरह
तेरे ख्वाबों में तेरी ख्वाहिशों में छुपा
ना जाने क्यों है रोज़ का सिलसिला
तू रूह की है दास्तान
तेरे ज़ुल्फ़ों की ये नमी
तेरी आँखों का ये नशा
यहाँ खो भी जाऊँ तो मैं
क्या कसूर है मेरा

क्यों ये अफ़साने इन लम्हों में खो गए
हम घायल थे इन लफ़्ज़ों में खो गए
थे हम अनजाने अब दिल में तुम हो छुपे
हम हैं सेहर की परछाइयाँ
तेरे साँसों की रात है
तेरे होंठों की है सुबह
यहाँ खो भी जाऊँ तो मैं
क्या कसूर है मेरा
क्या कसूर है मेरा

तेरे झुलफ़ों की ये नमी
तेरी आँखों का ये नशा
यहाँ खो भी जाऊँ तो मैं
क्या कसूर है मेरा
तेरे साँसों की रात है
तेरे होंठों की है सुबह
यहाँ खो भी जाऊँ तो मैं
क्या कसूर है मेरा
क्या कसूर है मेरा
क्या कसूर है मेरा

Curiosités sur la chanson Kasoor de Prateek Kuhad

Quand la chanson “Kasoor” a-t-elle été lancée par Prateek Kuhad?
La chanson Kasoor a été lancée en 2020, sur l’album “Kasoor”.

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