Shoorveer Rana Sanga

संकट की लहरे रक्त समंदर
युद्ध के बादल गहरे थे
आँखों में आग तलवार हाथ
वीरो के चमकते चेहरे थे

सम्पूर्ण क्षत्रिय सब एक छाव
वो समर समंदर श्रेष्ठ नाव
भगवा परचम था नीले गगन
था रक्त उफनता घोर घाव
चलता सांगा ज्यूँ मौत गदर
तलवार आवे नागिन सी नजर
फुफकार एक सर धड़ से अलग
सूरज फीका सांगा की चमक
जद जद बैरी सरहद लाँघा
लिया रुद्र रूप राणा सांगा
अवतार अगन आसन ज्वाला
मृत्यु रूप राणा सांगा

मेरे राणा अभिमान हें तू
शौर्य धनुष का बाण हें तू
मेवाड़ धरा का ओज लिए
वो एकलिंग दीवान हे तू
मेरे राणा अभिमान हें तू
शौर्य धनुष का बाण हें तू
मेवाड़ धरा का ओज लिए
वो एकलिंग दीवान हे तू

केसरिया ध्वज की लहर उठी
रणभूमि भी दहल उठी
छोड़ के रण भागा दुश्मन
शमशीर वीर की जबर उठी
ज्वाला की झलख ,अग्नि की धधक,
रजपूती रक्त,वो राष्ट्र भक्त,केसरिया तिलक,
आंखों में ललक, स्वाधीन सदा भारत मस्तक
अजमेर, चाकसू, या खानवा,धौलपुर ,चंदेरी ,या मालवा
लड़ रण खातोली विजय तिलक,मेवाड़ ध्वज तले मांडवा
मेवाड़ री माटी पूत जन्या
राणा सांगा सा सपूत जन्या
बे ले शरीर 80 घावा को
राणा रणभूमि खूब लड़या

मेरे राणा अभिमान हें तू
शौर्य धनुष का बाण हें तू
मेवाड़ धरा का ओज लिए
वो एकलिंग दीवान हे तू
मेरे राणा अभिमान हें तू
शौर्य धनुष का बाण हें तू
मेवाड़ धरा का ओज लिए
वो एकलिंग दीवान हे तू

दुश्मन को चीर-फाड़ा नाम इसका राणा सांगा
रण में रखा कदम, तो बाबर की सेना को लांघा
पैनी धार तलवार निकली सांगा की तो,
बाबर देख पागल होके ,उल्टे पाँव भागा
जहाँ भी पैर पड़ा, वहीं पे देख छाप मारा
विश्वासघातियों ने देख ऐसा दाव मारा
लड़ते रहा क्योकि बात स्वाभिमान की थी
खानवा में देख घायल शेर ने दहाड़ मारा
80 घाव खाये लेकिन फिर भी खड़ा सीधा
रण के मैदान में, ना बाबर ना सांगा जीता
युद्धभोज में प्राण खोये भोजराज ने
मीरा सुहाग का देख उजड़ गया था वो टीका

क़िस्मत का कपट था युद्ध खानवा
भागा था बाबर ख़तरा जान का
खून की नादिया बहती रही
इतिहास साक्ष्य मेवाड़ी मान का

मेरे राणा अभिमान हें तू
शौर्य धनुष का बाण हें तू
मेवाड़ धरा का ओज लिए
वो एकलिंग दीवान हे तू
मेरे राणा अभिमान हें तू
शौर्य धनुष का बाण हें तू
मेवाड़ धरा का ओज लिए
वो एकलिंग दीवान हे तू

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