O Sajani Tumra Roop Sanvaar Dein
K. J. Yesudas
ओ सजनी तुम्हारा रूप संवार दें
पहनाके नाथनी रूप संवार दें
सोलह शृंगार करू नज़र उतार दे
सोलह शृंगार करू नज़र उतार दे
ओ सजनी तुम्हारा केश संवार दें
आनंद के साथ सखी आनंद की काम की
गुरु वीना तो मेहंदी लगी लक्ष्मण के नाम की
काया का रंग कुछ और दिखावे
सोलह शृंगार करू नज़र उतार दे
ओ सजनी तुम्हारा रूप संवार दें
चारो की चारो बने दुल्हनिया
दशरथ की चारो बने (बारात आ गई)