Koi Sagar Dil Ko Bahlata Nahin
Mohammed Vakil
कोई सगर दिल को बहलाता नहीं
कोई सगर दिल को बहलाता नहीं
बेखुदी में भी क़रार आता नहीं
कोई सगर दिल को बहलाता नहीं
मै कोई पत्थर नहीं इन्सान हु
मै कोई पत्थर नहीं इन्सान हु
कैसे कह दू घुम से घबराता नहीं
कोई सगर दिल को बहलाता नहीं
बेखुदी में भी क़रार आता नहीं
कोई सगर दिल को बहलाता नहीं
कल तोह सब थे कारवाँ के साथ साथ
कल तोह सब थे कारवाँ के साथ साथ
आज कोई राह दिखलाता नहीं
कोई सगर दिल को बहलाता नहीं
बेखुदी में भी क़रार आता नहीं
कोई सगर दिल को बहलाता नहीं
जिंदगी के आईने को तोड़ दो
जिंदगी के आईने को तोड़ दो
इसमे अब्ब कुछ भी नजर आता नहीं
कोई सगर दिल को बहलाता नहीं
बेखुदी में भी क़रार आता नहीं
कोई सगर दिल को बहलाता नहीं आ आ आ आ