Hai Re Sanjog
CHITRAGUPTA, PRADEEP
हाए रे संजोग तूने क्या घड़ी दिखलाई
हाए रे संजोग तूने क्या घड़ी दिखलाई
पास लाकर दो दिलो को फिर से क्यो दे दी जुदाई
हाए रे संजोग तूने क्या घड़ी दिखलाई
बेटे के सपनो में खोई एक अभागन माँ
दिल पुकारे लाल का भी माँ तू बोल कहा
ऐसी किस्मत देख इनकी हमको तो आती रुलाई
हाए रे संजोग तूने क्या घड़ी दिखलाई
बहेना ढूँढे भाई अपना भाई ढूँढे बहेन
पर अभागे मिल ना पाते वक़्त है दुश्मन
राखी के दिन भी तरसाती हाय भाई की कलाई
हाए रे संजोग तूने क्या घड़ी दिखलाई
हाल मत पूछो कोई इन गम के मारो का
वो जो ढोते है ये पिछले यादगारो का
भाग्या में जो दी सज़ा वो आज भी कम हो ना पाई
हाए रे संजोग तूने क्या घड़ी दिखलाई
हाए रे संजोग तूने क्या घड़ी दिखलाई