Aaj Roothe Hue Sajna Ko Yaad Kiya

Saghar Siddiqui

आज रूठे हुए साजन को बहुत याद किया
आज रूठे हुए साजन को बहुत याद किया
अपने उजड़े हुए गुलशन को बहुत याद किया
आज रूठे हुए साजन को बहुत याद किया
आज रूठे हुए साजन को बहुत याद किया

जब कभी गर्दिश-ए-तकदीर ने घेरा है हमे
जब कभी गर्दिश-ए-तकदीर ने घेरा है हमे
गेंसू-ए-यार की उलझन को बहुत याद किया
आज रूठे हुए साजन को बहुत याद किया
आज रूठे हुए साजन को बहुत याद किया

जिसके माथे पे नयी सुबहों का झूमर होगा
जिसके माथे पे नयी सुबहों का झूमर होगा
हमने उस वक्त की दुल्हन को बहुत याद किया
आज रूठे हुए साजन को बहुत याद किया
आज रूठे हुए साजन को बहुत याद किया

आज टूटे हुए सपनों की बहुत याद आयी
आज टूटे हुए सपनों की बहुत याद आयी
आज बीते हुए सावन को बहुत याद किया
आज रूठे हुए साजन को बहुत याद किया
आज रूठे हुए साजन को बहुत याद किया

हम सर-ए-तूर भी मायूस-ए-तजल्ली ही रहे
हम सर-ए-तूर भी मायूस-ए-तजल्ली ही रहे
उस दर-ए-यार की चिलमन को बहुत याद किया
आज रूठे हुए साजन को बहुत याद किया
आज रूठे हुए साजन को बहुत याद किया
अपने उजड़े हुए गुलशन को बहुत याद किया
आज रूठे हुए साजन को बहुत याद किया
आज रूठे हुए साजन को बहुत याद किया, आ आ आ आ आ

Curiosités sur la chanson Aaj Roothe Hue Sajna Ko Yaad Kiya de Ghulam Ali

Qui a composé la chanson “Aaj Roothe Hue Sajna Ko Yaad Kiya” de Ghulam Ali?
La chanson “Aaj Roothe Hue Sajna Ko Yaad Kiya” de Ghulam Ali a été composée par Saghar Siddiqui.

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