Haadse Kya Kya Tumhari

GHULAM ALI, RAFIQUE HUSSAIN, SAGAR SIDDIQUE

हदसे क्या तुम्हारी बेरुखी से हो गए
हदसे क्या तुम्हारी बेरुखी से हो गए
सारी दुनिया के लिए हम अजनबी से हो गए
हदसे क्या तुम्हारी बेरुखी से हो गए

कुछ तुम्हारे गेसुओ की बाराहमी ने कर दिए
कुछ तुम्हारे गेसुओ की बाराहमी ने कर दिए
कुछ अंधेरे मेरे घर में रोशनी से हो गए
हदसे क्या तुम्हारी बेरुखी से हो गए

गार्डिशे दौरन जमाने की नज़र आँखों की निन्दो
गार्डिशे दौरन जमाने की नज़र आँखों की निन्दो
इतने दुश्मन एक रसमे दोस्ती से हो गए
हदसे क्या तुम्हारी बेरुखी से हो गए

बंदा परवर खुल गया है अस्तनो का भरम
बंदा परवर खुल गया है अस्तनो का भरम
हम असिरे दामे गुल अपनी खुशी से हो गए
हदसे क्या तुम्हारी बेरुखी से हो गए

हर कदम सागर नजर आने लगी है मंजिले
हर कदम सागर नजर आने लगी है मंजिले
मरहले ऐ मेरी कुछ आवारागी से हो गए
हदसे क्या तुम्हारी बेरुखी से हो गए
सारी दुनिया के लिए हम अजनबी से हो गए
हदसे क्या तुम्हारी बेरुखी से हो गए

Curiosités sur la chanson Haadse Kya Kya Tumhari de Ghulam Ali

Qui a composé la chanson “Haadse Kya Kya Tumhari” de Ghulam Ali?
La chanson “Haadse Kya Kya Tumhari” de Ghulam Ali a été composée par GHULAM ALI, RAFIQUE HUSSAIN, SAGAR SIDDIQUE.

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