Kabhi to Meharban Hokar

GHULAM ALI, HABIB JALIB

कभी तो महरबन
हो कर बुला ले
कभी तो महरबन
हो कर बुला ले
यह महवश
हम फरिक़ो की दुआ ले
कभी तो महरबन
हो कर बुला ले
कभी तो महरबन
हो कर बुला ले बुला ले

ना जाने फिर यह
रुत आए ना आए
ना जाने फिर यह
रुत आए ना आए
ना जाने फिर यह
रुत आए ना आए
जवान फूलों की
कुच्छ खुश्बू चुरा ले
जवान फूलों की
कुच्छ खुश्बू चुरा ले
कभी तो महरबन
हो कर बुला ले बुला ले

हमारी भी संभाल
जाएगी हालत
हमारी भी संभाल
जाएगी हालत
हमारी भी संभाल
जाएगी हालत
वो पहले अपनी
ज़ूलफे तो संभाले
वो पहले अपनी
ज़ूलफे तो संभाले
कभी तो महरबन
हो कर बुला ले बुला ले

निकालने को हैं
वो माहताब घर से
निकालने को हैं
वो माहताब घर से
निकालने को हैं
वो माहताब घर से
सितारो से कहो नज़ारे झुका ले
सितारो से कहो नज़ारे झुका ले
कभी तो महरबन
हो कर बुला ले बुला ले

ज़माना तो यूँ ही
रूठा रहेगा
ज़माना तो यूँ ही
रूठा रहेगा
ज़माना तो यूँ ही
रूठा रहेगा
चलो जालीब उन्हे
चल कर माना ले
चलो जालीब उन्हे
चल कर माना ले
कभी तो महरबन
हो कर बुला ले बुला ले
यह महवश
हम फरिक़ो की दुआ ले
कभी तो महरबन
हो कर बुला ले बुला ले

Curiosités sur la chanson Kabhi to Meharban Hokar de Ghulam Ali

Qui a composé la chanson “Kabhi to Meharban Hokar” de Ghulam Ali?
La chanson “Kabhi to Meharban Hokar” de Ghulam Ali a été composée par GHULAM ALI, HABIB JALIB.

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