Kisi Ki Shaame - Saadgi Sahar Ka Rang

Sant Darshan Singh Ji Maharaj, Allauddin Khan

किसी की शामे-सादगी
सहर का रंग पा गयी
किसी की शामे-सादगी
सहर का रंग पा गयी
सबा के पाँव तक गये
मगर बहार आ गयी
किसी की शामे-सादगी
सहर का रंग पा गयी
किसी की शामे-सादगी
सहर का रंग पा गयी

चमन की जश्न गाह में
उदासिया भी कम ना थी
चमन की जश्न गाह में
उदासिया भी कम ना थी
जाली जो कोई शममे गुल
काली का दिल बुझा गयी
जाली जो कोई शममे गुल
काली का दिल बुझा गयी
जाली जो कोई शममे गुल
काली का दिल बुझा गयी
किसी की शामे-सादगी
सहर का रंग पा गयी
किसी की शामे-सादगी
सहर का रंग पा गयी

ब्यूटेन रंग रंग से
भरे थे बूटकाड़े मगर
ब्यूटेन रंग रंग से
भरे थे बूटकाड़े मगर
तेरी अदडाए सादगी
मेरी नज़र को भा गयी
तेरी अदडाए सादगी
मेरी नज़र को भा गयी
तेरी अदडाए सादगी
मेरी नज़र को भा गयी
किसी की शामे-सादगी
सहर का रंग पा गयी
किसी की शामे-सादगी
सहर का रंग पा गयी

मेरी निगाहे टिशणा लब की
सर्कुशी ना पुच्हिए
मेरी निगाहे टिशणा लब की
सर्कुशी ना पुच्हिए
के जब उठी निगाहे
नाज़ पी गयी पीला गयी
के जब उठी निगाहे
नाज़ पी गयी पीला गयी
के जब उठी निगाहे
नाज़ पी गयी पीला गयी
किसी की शामे-सादगी
सहर का रंग पा गयी
किसी की शामे-सादगी
सहर का रंग पा गयी

कीजा का दौर है मगर
वो इश्स अदा से आए हैं
कीजा का दौर है मगर
वो इश्स अदा से आए हैं
बाहर दर्शाने हजिन की
ज़िंदगी पे च्छा गयी
बाहर दर्शाने हजिन की
ज़िंदगी पे च्छा गयी
बाहर दर्शाने हजिन की
ज़िंदगी पे च्छा गयी
किसी की शामे-सादगी
सहर का रंग पा गयी
किसी की शामे-सादगी
सहर का रंग पा गयी
सबा के पाँव तक गये
मगर बहार आ गयी
किसी की शामे-सादगी
सहर का रंग पा गयी
किसी की शामे-सादगी
सहर का रंग पा गयी

Curiosités sur la chanson Kisi Ki Shaame - Saadgi Sahar Ka Rang de Ghulam Ali

Qui a composé la chanson “Kisi Ki Shaame - Saadgi Sahar Ka Rang” de Ghulam Ali?
La chanson “Kisi Ki Shaame - Saadgi Sahar Ka Rang” de Ghulam Ali a été composée par Sant Darshan Singh Ji Maharaj, Allauddin Khan.

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