Kuch Yaadgar - E - Sheher

Ustad Ghulam Ali

कुच्छ यादगार-ए-शहर-
ए-सीतमगार ही ले चले
कुच्छ यादगार-ए-शहर-
ए-सीतमगार ही ले चले
आए हैं इश्स गली में
तो पत्थर ही ले चले
कुच्छ यादगार-ए-शहर-
ए-सीतमगार ही ले चले

रंज-ए-सफ़र की
कोई निशानी तो पास हो
रंज-ए-सफ़र की
कोई निशानी तो पास हो
थोड़ी सी काक-ए-कूचा-
ए-दिलबर ही ले चले
थोड़ी सी काक-ए-कूचा-
ए-दिलबर ही ले चले

यू किस तरह कटेगा
कड़ी धूप का सफ़र
यू किस तरह कटेगा
कड़ी धूप का सफ़र
सर पर कायल-ए-यार की
चादर ही ले चले
सर पर कायल-ए-यार की
चादर ही ले चले
कुच्छ यादगार-ए-शहर-
ए-सीतमगार ही ले चले

यह कह के च्छेदती है
यह कह के च्छेदती है
हमे दिल-गिरफ्तागी
यह कह के च्छेदती है
हमे दिल-गिरफ्तागी
घबरा रहे हैं
आप तो बाहर ही ले चले
घबरा रहे हैं
आप तो बाहर ही ले चले

इश्स शहर-ए-बे-चराग़
में जाएगी टू कहाँ
इश्स शहर-ए-बे-चराग़
में जाएगी टू कहाँ
में जाएगी टू कहाँ
में जाएगी टू कहाँ
में जाएगी टू कहाँ
इश्स शहर-ए-बे-चराग़
में जाएगी टू कहाँ
आ आई शब-ए-फिराक
तुझे घर ही ले चले
आ आई शब-ए-फिराक
तुझे घर ही ले चले

इश्स शहर-ए-बे-चराग़
इश्स शहर-ए-बे-चराग़
इश्स शहर-ए-बे-चराग़
इश्स शहर-ए-बे-चराग़
इश्स शहर-ए-बे-चराग़
में जाएगी तू कहाँ
तू कहाँ तू कहाँ तू कहाँ
इश्स शहर-ए-बे-चराग़
में जाएगी तू कहाँ
आ आई शब-ए-फिराक
तुझे घर ही ले चले
आ आई शब-ए-फिराक
तुझे घर ही ले चले

कुच्छ यादगार-ए-शहर-
कुच्छ यादगार-ए-शहर-
ए-सीतमगार ही ले चले
आए हैं इश्स गली में
तो पत्थर ही ले चले
कुच्छ यादगार-ए-शहर-
ए-सीतमगार ही ले चले

Curiosités sur la chanson Kuch Yaadgar - E - Sheher de Ghulam Ali

Quand la chanson “Kuch Yaadgar - E - Sheher” a-t-elle été lancée par Ghulam Ali?
La chanson Kuch Yaadgar - E - Sheher a été lancée en 2001, sur l’album “Para Para Hua”.
Qui a composé la chanson “Kuch Yaadgar - E - Sheher” de Ghulam Ali?
La chanson “Kuch Yaadgar - E - Sheher” de Ghulam Ali a été composée par Ustad Ghulam Ali.

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