Nagri Nagri Phira Musafir

Ustad Ghulam Ali

नागरी नागरी फिरा मुसाफिर
घर का रास्ता भूल गया
नागरी नागरी फिरा मुसाफिर
घर का रास्ता भूल गया
क्या है तेरा क्या है मेरा
अपना पराया भूल गया
नागरी नागरी फिरा मुसाफिर
घर का रास्ता भूल गया

क्या भुला कैसे भुला क्यूँ
पुचछटे हो बस यूँ समझो
क्या भुला कैसे भुला क्यूँ
पुचछटे हो बस यूँ समझो
कारण दोष नही है कोई
भुला भाला भूल गया
नागरी नागरी फिरा मुसाफिर
घर का रास्ता भूल गया

जिसको देखो उसके दिल में
शिक़वा है तो इतना है
जिसको देखो उसके दिल में
शिक़वा है तो इतना है
हमे तो सब कुच्छ याद रहा
पर हमको ज़माना भूल गया
नागरी नागरी फिरा मुसाफिर
घर का रास्ता भूल गया

कोई कहे ये किसने कहा था
कह दो जो कुच्छ जी में है
कोई कहे ये किसने कहा था
कह दो जो कुच्छ जी में है
मेरा जी कह कर पचछाटाया
और फिर कहना भूल गया
नागरी नागरी फिरा मुसाफिर
घर का रास्ता भूल गया
क्या है तेरा क्या है मेरा
अपना पराया भूल गया
नागरी नागरी फिरा मुसाफिर
घर का रास्ता भूल गया

Curiosités sur la chanson Nagri Nagri Phira Musafir de Ghulam Ali

Qui a composé la chanson “Nagri Nagri Phira Musafir” de Ghulam Ali?
La chanson “Nagri Nagri Phira Musafir” de Ghulam Ali a été composée par Ustad Ghulam Ali.

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