Udassian [Slow]
Mustafa Zahid
कितनी बार जोड़ोगे फिर
कितनी बार तोड़ोगे
कितनी बार लौटोगे फिर
कितनी बार छोड़ोगे
कभी ठहरो
दो पल तो
इश्स बस्ती में
ज़रा देखो
सब खैर ही खैर
मेरी हस्ती में
तू जुदा हो जा
या मेरा हो जा
तू मुझे मिल जा
या कहीं खो जा
इश्स बेबसी में
जीना सीखा दे
जो जख्म दे रहा है
सीना सीखा दे
नाकाम ज़िंदगी को कुछ तो ब्ला दे
यू बेवजह जीने का कुछ तो सीला दे
आ बार बार मुझको छोड़ने के लिए
फिर जोड़ यार मुझको तोड़ने के लिए
कितनी बार थामोगे
कितनी बार फेकोगे
कितनी बार जाओगे तुम
कितनी बार
कभी ठहरो दो पल तो
इस बस्ती में
ज़रा देखो
सब खैर ही खैर
मेरी हस्ती में
तू जुदा हो जा
या मेरा हो जा
तू मुझे मिल जा
या कहीं खो जा