Sham E Firaaq Ab Na Pooch [Live]
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ साहब का कलाम राग दरबारी मे पेश कर रही हूँ
शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ
शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गई
शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गई
दिल था कि फिर बहल गया
दिल था कि फिर बहल गया जाँ थी कि फिर सँभल गई
शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ
जब तुझे याद कर लिया सुबहे महक महक गयी
जब तुझे याद कर लिया आ आ आ, सुबहे महक महक गयी इ इ इ
जब तेरा ग़म जगा लिया
जब तेरा ग़म जगा लिया रात मचल मचल गई
शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ
बज़्म-ए-ख़याल में तेरे हुस्न की शम्मा जल गई
बज़्म-ए-ख़याल में तेरे, आ आ आ आ आ
बज़्म-ए-ख़याल में तेरे हुस्न की शम्मा जल गई, इ इ इ
दर्द का चाँद बुझ गया हिज्र की रात ढल गई
दर्द का चाँद बुझ गया हिज्र की रात ढल गई
शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ
दिल से तो हर मोआमला कर के चले थे साफ़ हम
दिल से तो हर मोआमला, मोआमला, मोआमला
दिल से तो हर मोआमला कर के चले थे साफ़ हम
कहने में उन के सामने बात बदल बदल गई
कहने में उन के सामने बात बदल बदल गई
शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गई
दिल था कि फिर बहल गया जाँ थी कि फिर सँभल गई
शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ
शुक्रिया