Ishq Musafir
Ashar Anis Khan
थाम के पल जो मैं ये चला
सांसों का रुक गया है कफिला
तेरी गली माई जो मैं खरा
यादों से मैं यूं टकरा गया
मेरी हर उम्मेदैन नाकाम सिफ़रीशैं
दिल को थी पसंद जो वो भीगी बारिशें
सब थाम के मैं चला
इश्क मुसाफिर, इश्क मुसाफिर हो गया
इश्क मुसाफिर, इश्क मुसाफिर हो गया
हो गया, हो गया
ख्वाबों को पालकों से मैं यूं जोड़ा कर चल दिया
चल दीया, चल दीया
इश्क मुसाफिर, इश्क मुसाफिर हो गया
हो गया, हो गया
कटरा था पानी का मैं जबसे तू मिला
जो तूने थाम के मुझे शबनम बना दिया
तकता हो मैं खुद को आने में जब भी
लगे है नूर तेरा मुझे चा गया
परहु मैं तेरा कलमा
इश्क की बाजी में
रूह-ए-इबादत तू बन गया
इश्क मुसाफिर, इश्क मुसाफिर हो गया
इश्क मुसाफिर, इश्क मुसाफिर हो गया
हो गया, हो गया
ख्वाबों को पालकों से मैं यूं जोड़ा कर चल दिया
चल दीया, चल दीया
इश्क मुसाफिर, इश्क मुसाफिर हो गया
हो गया, हो गया