Parchhai

Palak Muchhal

कहने को तो
मैं जी रहा हूँ
धड़कन से
साँसें ही जुड़ा हैं
मंज़िल तक पहुँचा
तो यह जाना
रास्ते में खुद
को खो दिया है
खुद की क्या पहचान डून मैं
खुद से ही अंजान हूँ मैं
मैं जीटा हूँ मगर
एब्ब ज़िंदा ही नहीं
जो सोचा वो समझा ही नहीं
रूठे ख़यालों
में कैसी तन्हाई है
ना जानू मैं हूँ
या मेरी परच्छाई है
रूठे ख़यालों में
कैसी तन्हाई है
ना जानू मैं हूँ
या मेरी परच्छाई है

सूनी सूनी सी रातों में
खाली-पं मुझको खलता है
सब है मगर कुछ भी नहीं
तन्हा तन्हा से इश्स दिल में
कोई काँटा क्यूँ चुभता है
आँखों में हर पल है नामी
खुद की क्या पहचान दू मैं
खुद से ही अंजान हूँ मैं
मैं जीता हूँ मगर
एब्ब ज़िंदा ही नहीं
जो सोचा वो समझा ही नहीं
रूठे ख़यालों
में कैसी तन्हाई है
ना जानू मैं हूँ
या मेरी परच्छाई है
रूठे ख़यालों में
कैसी तन्हाई है
ना जानू मैं हूँ
या मेरी परच्छाई है

Curiosités sur la chanson Parchhai de Sonu Nigam

Qui a composé la chanson “Parchhai” de Sonu Nigam?
La chanson “Parchhai” de Sonu Nigam a été composée par Palak Muchhal.

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