Yaqeen

Mehboob

आ आ आ हं आ आ आ आ
हं आ आ हाँ आ आ आ
यक़ीन ऐसे टूटा भरम अपना लूटा
ये समझे थे हम के वतन है हमारा तुम्हारा
थी तिनके की गलती

आ आ आ आ आ

घरोंदा ही तोडा

आ आ आ आ आ

ये समझे थे हम के ये घर है हमारा तुम्हारा
ये ज़िंदा चिताएं ये मुर्दा धुआएं
कहीं तीरओ नश्तर कहीं चीखों आहें
के इंनसां से इंनसां ही बचता फिरे मारा मारा

माँओं के सर से छीनी है चादर बिलखते ये नन्हे बेसाया बेघर
माँओं के सर से छीनी है चादर बिलखते ये नन्हे बेसाया बेघर
कमज़ोर काँधों पे औलाद के सर
रक्षक भी है आज रावन के अफसर
के दामन ही इंसानियत का हुआ पारा पारा
आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ
लाशों को भी लूटने ये लगे हैं
जीवन के सौदे भी होने लगे हैं
हाँ लाशों को भी लूटने ये लगे हैं
जीवन के सौदे भी होने लगे हैं
है आग हरसू मगर दिल अँधेरे
पडोसी पडोसी से डरने लगे हैं
वो विश्वास गुम है कहीं छुप गया हारा हारा

हर मोड़ पर एक कातिल खड़ा है
वो घात में बस इसी की लगा है
हर मोड़ पर एक कातिल खड़ा है
वो घात में बस इसी की लगा है
के कब एक लहु दूसरा खून बहाए
मिटटी का एक तन कब दूजा ढाए
किया ग्रंथ गीता का हर एक सबक कारा कारा

Curiosités sur la chanson Yaqeen de Sonu Nigam

Qui a composé la chanson “Yaqeen” de Sonu Nigam?
La chanson “Yaqeen” de Sonu Nigam a été composée par Mehboob.

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