Kahin Nahin -1
कही नही सुनी नही इक ऐसी दास्तान
कहने चली है यह ज़ुबान अनहोनी दास्तान
कभी कही ज़मीन पे अंजाने एक इंसान ओ ओ ओ
अगर मिल जाए तो सोचो होगा क्या
पहचाना सा वो अजनबी, इश्स तरह पहले कभी ना मिला
हो बवफ़ा या बेवफा किसिको ना है पता, ना परवाह
जूठी नही सच भी नही इक ऐसी दास्तान
जाने छिपी थी यह कहाँ अनहोनी दास्तान
कभी कहीं करीब हो हबीब दो इंसान औ औ
हो जाती है उनमे दूरिया
चेहरा वही पर वो नही, दिल को धोका दे रही क्या नज़र
बहरूपिया है यह जहाँ, खुद अपने खेल से है बेख़बर
वोहू हु हु है या ना ना ना ना ना ना
हे हे हे हे हे हे
बनी नही बिखरी नही इक ऐसी दास्तान
कहने चली है यह ज़ुबान अनहोनी दास्तान
कभी कही ज़मीन पे अंजाने एक इंसान ओ ओ ओ
अगर मिल जाए तो सोचो होगा क्या
इक ऐसी दास्तान