Kai Sadiyon Pehli
हा हा हा हा
हा हा हा हा
कई सदियों पहली पुरानी बात है
के जब से आसमान ज़मीन का साथ है
और ये पागल हवा सनसनाती हुई
ढूंढती थी यहा कहा मेरा प्यार है
एक दिन उपर वाला राजा सोच रहा था में कुछ बनाऊ
फिर उसने परभत बनाए सोचा थोड़ी बरफ बिछा दू (सोचा थोड़ी बरफ बिछा दू)
बरफ से जो पिघले पिघल झरने झरे
के झरनो से बही खिलखिलती नदी
ये नदियो से बना जो सागर आज है
कई सदियों सदियों पुरानी बात है (पुरानी बात है)
अब भी सोचे उपर वाला कैसे चलेगा ये संसार
खड़ा रहेगा कौन ज़मीन पे कौन बनेगा पालनहार
फिर धरती का किया श्रृंगार
पेड़ बनाए सुंदर पहरेदार
देख के ये श्रृंगार हो गया उसको प्यार
बना डाले जंगल, जंगल ही जंगल यार
फिर तो लगने लगे फल, फल पे पकने लगे फल
ये नदियो की रवानी पिएगा कौन पानी
कोई तो रूह हो, कोई हो ज़िंदगानी
के अब बच्चा कोई कही तो मुस्कुराए
उसकी तस्वीर जैसे पूरी होने लगी
मगर उसकी तमन्ना अधूरी ही रही
वो जादू से भरे जो बीज उसके पास थे
उसने फैला दिए ज़मीन पे जो उनमे खास थे
वो ऐसे पेड़ है जिन में भगवान है
जो देते प्यार है, जो लेते प्यार है
उन्हे बच्चा कोई जो जाके गले लगाए
जो सपना देखे वो, वो सपना सच हो जाए