Main Baithi Thi Phulwari Mein -1
मैं बैठी थी फुलवारी में
एक सखी आ गई और बोली ही
क्या सोच है तुम को बोलो तो
हुं बहन तुम्हारी मुहं बोली
कुछ कह न साकी.. कुछ कह न साकी
मुंह तकत रही
कुछ कह ना साकी, मुंह तकत रही
नैनों से चली असुवन टोली
नैनों से चली असुवन टोली
चलते चलते वही बोल गई
चलते चलते वही बोल गई
सखी कौन देस राजे पिया रां
सखी कौन देस राजे पिया रां
सखी कौन देस राजे पिया रां
वो सुनाते ही खामोश हुई
और नैन भाये बोरा न साकी
वो सुनाते ही खामोश हुई
और नैन भाये बोरा न साकी
मैं चाहा हमें को चेत करूँ
आ जाने हमें को मान सखी
जब होश हुई तब कहने लगी ही
जब होश हुई तब कहने लगी ही
ये था मुझे को भी ध्यान सखी
ये था मुझे को भी ध्यान सखी
और ये मैं कहने वाली थी
और ये मैं कहने वाली थी ही
कौन देस राजे पिया रां
सखी कौन देस राजे पिया रां
सखी कौन देस राजे पिया रां